छत्तीसगढ़: बीजापुर में जवानों और नक्सलियों की मुठभेड़ में 22 जवान शहीद, 30 घायल।

Bijapur Naxal Attack:- पिछले कई दशकों से छत्तीसगढ़ नक्सल प्रभावित रहा है। एक बार फिर छत्तीसगढ़ से विचलित करने वाली खबर आ रही है। नक्सलियों और जवानों के बीच ये मुठभेड़ शनिवार को हुई थी जिसमें 22 जवान शहीद हो गए और 30 गम्भीर रूप से घायल हैं। घायलों का इलाज अस्पताल में चल रहा है और हम घायल जवानों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं। ये मुठभेड़ Chhattisgarh में बीजापुर-सुकमा बॉर्डर पर हुई जिसमें 200 से 300 नक्सलियों ने घात लगाकर सर्च ऑपरेशन कर रहे जवानों पर ताबड़तोड़ फायरिंग करनी शुरू करदी।

हमले का हिड़मा (Hidma) कनेक्शन
मिली जानकारी के अनुसार नक्सली कमांडर हिड़मा (Hidma) इस पूरे ऑपरेशन को लीड कर रहा था। कुख्यात नक्सली हिड़मा ही इस खूनी खेल का ज़िमेदार है। 

कैसे दिया हमले को अंजाम 
CRPF और छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस के 2000 जवान बीजापुर के जंगलों में कुख्यात नक्सली हिड़मा को पकड़ने के लिए सर्च ऑपरेशन चला रहे थे। मगर दुर्भाग्य से शायद नक्सलियों को इस बात का पहले ही अंदेशा हो गया था, इसलिए उन्होंने जंगल में शांति बनाए रखी और जवानों को जंगल के अंदर तक आने दिया। नक्सलियों ने सोची-समझी रणनीति के तहत जवानों को अपने जाल में फंसाने के लिए एंबुश वाली साजिश रची जो एक U शेप एंबुश था। U शेप एंबुश का मतलब ये है कि यह एक तरह का घेरा होता है। एक बार उस एंबुश के अंदर आने के बाद जवान तीन तरफ से घिर जाते और बाहर नहीं जा सकते थे। दुर्भाग्य से ऐसा ही हुआ, जब जवान इस एंबुश में आ गए तो जंगल मे छुप कर घात लगाए बैठे 200 से ज़्यादा नक्सलियों ने जवानों पर तीन तरफ से ताबड़तोड़ गोलीबारी करनी शुरू करदी, सभी जवान अब घिर चुके थे जिसकी वजह से बहुत ज़्यादा नुकसान हुआ, और तीन घन्टे तक चली मुठभेड़ में हमने अपने 22 जाबाज़ वीर जवान खो दिए। नक्सलियों ने जवानों पर ग्रनेड, रॉकेट लांचर LMG और AK47 जैसे अत्याधुनिक हथियारों से भी हमला किया। 

जवानों ने भी दिया मुंहतोड़ जवाब
चारों तरफ से घिरने के बाद भी हमारे वीर जवानों ने नसलिओं की गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दिया और 15 से ज़्यादा नक्सलियों को मार गिराया, जिसमे महिलाएं भी शामिल हैं। कुछ नक्सली घायल भी हुए। बताया जा रहा है कि नक्सली  चार ट्रैक्टर ट्रॉली में मुठभेड़ में मारे और घायल हुए अपने नक्सली साथियों को लेजाते भी दिखे।

कौन है हिड़मा (Hidma)
जानकारी के मुताबिक 25 लाख का इनामी नक्सली कमांडर मांडवी हिड़मा छत्तीसगढ़ में सुकमा जिले के एक आदिवासी गांव पूवर्ती (Puvarti) से है। 40 वर्ष के नक्सली हिड़मा ने लगभग 30 साल पहले नक्सलियों के साथ हाथ मिलाया था। आज वो नक्सली संगठन 'पीपल लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी' (People's Liberation Guerrilla Army) PLGa का संचालक बन चुका है। इसके गिरोह में 700 से 800 खूंखार नक्सली बताए जा रहे हैं, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं। हिड़मा भले ही छत्तीसगढ़ का रहने वाला हो लेकिन बीच बीच में तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के जंगलो में भी जाकर छिप जाता है क्योंकि सुकमा की सीमा तेलंगाना से लगती है। शनिवार को जिस जगह मुठभेड़ हुई वह जगह भी तेलंगाना (Telangana) की सीमा से सटा हुआ है। 

जवानों के हथियार लेकर भागे नक्सली
खूंखार नकसलियों सारी हदें तब पार करदी जब ये शहीद हुए जवानों के हथियार और यहाँ तक कि उनके कपड़े तक लेकर जंगलों में भाग गए।

सुरक्षा में हुई बड़ी चूक
कुछ दिन पहले ही हिड़मा को 150 से 200 नक्सलियों के साथ बीजापुर के जंगलों में देखा गया था। हिड़मा ने बीजापुर पुलिस को कुछ दिन पहले धमकी भी दी थी। इतनी जानकारी होने के बाद भी नक्सलवादी अपने मंसूबों में कामयाब हो जाते हैं तो इसको सुरक्षा में चूक नहीं तो और क्या कहा जायेगा।

अमित शाह ने रद्द की असम रैली
गृह मंत्री अमिय शाह ने खबर मिलते ही अपनी असम की चुनावी रैली रद्द करदी औऱ शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा के जवानों की शहादत किसी भी कीमत पर व्यर्थ नहीं जाने देंगे। उन्होंने ये भी कहा के नक्सलवाद के खिलाफ इस लड़ाई को हम और भी मजबूती से लड़ेंगे औऱ इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाएंगे।

आज ही के दिन 10 साल पहले हुआ था सबसे बड़ा नक्सली हमला
आज से ठीक 10 साल पहले 6 अप्रैल 2010 को देश सबसे बड़ा नक्सली हमला छत्तीसगढ़ के ताड़मेटला में हुआ था, जिसमे 76 जवान शहीद हो गए थे। इस घटना ने पूरे देश को दहला कर रख दिया था। ये हमला इतिहास में अबतक का सबसे बड़ा हमला और काला दिन है। 

इसके इलावा 1995 में नारायणपुर हमले में 25 जवान शहीद हुए थे। 2008 में बीजापुर में ही रंजबोदली गांव में जवानों के कैम्प पर हमला किया जिसमें 55 जवान शहीद हो गए थे,और नाजने कितने ऐसे अनगिनत हमले हैं जिनमें कई सौ जवान शहीद हो चुके हैं। बड़े ही दुख के साथ ये कहना पड़ रहा है कि ये सिलसिला आजतक लगातार जारी है, साल बदलते हैं, सरकार बदलती है, कुछ नहीं बदलता वो है जवानों की शहादत।

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